शांति और परिवार
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- ध्वनि
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हमारे घर के लिए शांति का आधार
◎ व्यक्ति का मन शुद्ध हो जाने के बाद पूर्वजों सम्मान करें।
◎ व्यक्ति का मन शुद्ध हो जाने के बाद परिवार आता है।
◎ व्यक्ति का मन शुद्ध हो जाने के ठीक अभिभावक-बच्च का रिश्ता खडा होता है।
◎ व्यक्ति का मन शुद्ध हो जाने के बाद भाई-बहन एकसाथ रहते हैं।
◎ व्यक्ति का मन शुद्ध हो जाने के बाद संपानों की परवरिश की जाती है।
सोच का धामिर्क तरीका सौभाग्य के लिए अग्रणी है, निमार्ण का आयाम जहाँ मन आत्म-निर्भरता और मन की संपन्नता के लिए निवास कर सकता है।
परिवार के सभी सदस्यों के लिए गहरी दरकार के साथ सेवारत मन वास्तव में शांति के लिए मन है।
यह केवल एक सार में से है, मन का सही तरीके से उपयोग करने का मार्ग, कि आत्म-निर्भरता के अभ्यास से भाग्य निर्धारित होता है।
यदि मन बदलता है, व्यवहार भी बदल जाते हैं। यदि व्यवहार बदलते हैं, तो नियति बदल जाती है।
खुद्की नियति को बचाने के लिए आत्म-निर्भरता के अलावा कुछ नहीं है।
जहाँ कोई आशाएँ या लक्षय नहीं होते हैं, वहाँ कभी अच्छा भाग्य अथवा प्रगति अथवा उन्न्ति या प्राप्ति नहीं होती है।
हमें जीवन की गरिमा को व्यर्थ और तुच्छ नहीं बनानी चाहिए।
स्वर्ग उस व्यक्ति की ओर आँख नहीं मूंदेगा, जो आत्म-केन्द्रित, स्वार्थी है अथवा ईर्ष्या और लालच का मन
रखता है, जो धोखेबाज है अथवा मातापिता और भाई-बहनों के लिए वक्र मन के साथ झूठ बोलता है।
ऐसे व्यक्ति को निश्चित और पूर्ण रूप से स्वर्ग की सजा मिलेगी।
स्वर्ग की जाल दरदरे रूप से बुनी हुई होती है, लेकिन वह अपने में से कुछ भी आरपार जाने नहीं देती है।
ऐसा पाप दस हजार मौतों से दंडनीय होगा।
मन का उपयोग शांति के लिए करें।