किम चांग-इन,
संस्थापक
अध्यक्ष सोन्ग सोक - इओन, जाजू राष्ट्रीय विश्वविद्यालय, कोरिया गणराज्य
गाराक सेन्ट्रल सरनेम असोसियेशन, अध्यक्ष किम जी - जै
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किम चांग-इन प्रै्निटकल फिलोसॉफी एज्युकेशन सेन्टर
किम चांग-इन, संस्थापक
1929 में कोरिया के जेजू में जन्मे
एक ऐसे वातावरण में रहने के बाद जिसमें वह प्रकृति की कठोरता का सामना कर रहा था, सबसे बढ़कर अध्यक्ष किम चांग-इन ने स्वर्ग और पृथ्वी के महान स्वरूप के प्रति कृतज्ञता दिखाने और अपने पूर्वजों को संजोने के लिए इसे एक दैनिक अभ्यास बना दिया। 16 साल की उम्र में उन्होंने अपनी प्यारी मां को खो दिया और अकेले जापान चले गए। विभिन्न कठिनाइयों और कष्टों पर काबू पाने के अपने वास्तविक अनुभव के माध्यम से उन्होंने अपने दम पर जीवित रहने के लिए आवश्यक दृढ़ता को सीखा।
एक उद्यमी के रूप में व्यवसाय में सफलता प्राप्त करने का प्रयास करते हुए उन्हें अपने लगभग तीसवें साल में एक गंभीर बीमारी का पता चला था। उन्होंने खुद को मौत के लिए राज़ी किया और बहुत आत्म-खोज के बाद उन्होंने अपने छह बच्चों को अपने परिवार के बारे में, अपनी अंतिम इच्छा और एक इंसान के रूप में कैसे रहना है इसके बारे में लिखा। बीमारी से झने और सौभाग्य से मृत्यु से बचने के बाद उन्होंने 1977 में Kokoro और 1981 में मनुष्य के लिए एक मार्ग पुस्तकें लिखीं। एक पिता और एक इंसान के रूप में उन्होंने सिद्धांतों के आधार पर सत्य का अनुसरण किया और उसे व्यवहार में लाया और इस प्रकार किम चांग-इन के व्यावहारिक दर्शन शास्त्र पैदा हुआ।
अगली पीढ़ी के लिए शांति की नींव रखना
औद्योगीकरण ने हमारे आधुनिक समाज में भौतिक समृद्धि लाई है। हालाँकि, सभ्यता के लाभों ने मनुष्य को बदल दिया है, मानव मन को विचलित कर दिया है और उनकी सोचने की क्षमता को नष्ट कर दिया है। यह वास्तव में चिंता, मानसिक टूटन और अकेलापन है जो आधुनिक समाज पर हावी है। जब हम इस युग को देखते हैं जिसमें भौतिक चीजें (पैसा, चीजें, जानकारी) फल-फूल रही हैं और मानव मन को परेशान और नष्ट किया जा रहा है, तो माता-पिता, भाई-बहनों और परिवार के सदस्यों के बीच ईमानदारी को बहाल करना महत्वपूर्ण है - अर्थात यह विचार कि ईमानदारी का सच्चाई का सिद्धांत मन में निहित और केंद्रित है।
"स्वर्ग और पृथ्वी के महान स्वरूप के तर्क का सम्मान करनेवाला मन"
"पूर्वजों के प्रति सम्मानपूर्ण बेदाग शुद्ध मन"
इन सिद्धांतों पर आधारित कृतज्ञता सबसे महत्वपूर्ण बात है, और सच्चे प्यार का अर्थ है जीवन की कठोरता को अपने परिवारों और बच्चों को पूरे दिल से बताना।
शांति संयोग से नहीं मिलती है बल्कि कड़ी मेहनत और सच्चे दिल से मिलती है जो हमेशा शांति का सबसे अधिक सम्मान करता है।
जब ऐसे बहुत से लोग हैं जिनके पास सच्चे दिल हैं जो निष्पक्षता की शुद्धता के लिए समर्पित हैं तो हम सबसे अधिक ईमानदारी से एक ठोस शांति का निर्माण कर सकते हैं।
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संपादक की प्रस्तावना
हमारे समय के युवाओं के लिए जीवन के लिए निर्देशांक जिन्हें आशाओं और सपनों की आवश्यकता है।
21वीं सदी में, भौतिक संपन्नता और व्यक्तिगत अधिकारों की बढती माँगों के कारण लोग जीवन के भौतिक मूल्यों के पीछे भागते हैं और समाज प्रचंड धनलोलुपता से ग्रस्त हो गया है जो मूल्यों के बारे में विभ्रान्ति समेत कई नकारात्मक पहलु प्रकट करती है।
ऐसी परिस्थितियों में, अध्यक्ष किम चांग-इन का व्यवहारिक दर्शन समकालीन लोगों के साथ प्रतिध्वनित होता है, क्योंकि वह उन्हें धनलोलुपता से सावधान होने की सलाह देता है, जहाँ रिश्ते लाभ और क्षति अथवा सांसारिक मोहमाया पर आधारित होते हैं, तथा वर्तमान समस्याओं को संबोधित करने के लिए वैकल्पिक दृष्टिकोण का सुझाव देता है।
अध्यक्ष किम चांग-इन का व्यवहारिक दर्शन के अंतर्निहित विचार ‘स्वर्ग और पृथ्वी’, ‘पूर्वजों’, ‘स्वर्ग की पूजा’, ‘पुण्य और पाप’, ‘आत्मनिरीक्षण’, ‘अभ्यास’ और ‘दैवीय समर्पण’ पर केन्द्रित प्रतिनिधि पूर्वी विचारों को शामिल करते हैं। विशिष्ट सिद्धांतों के आधार पर, उनका दर्शन बौद्ध धर्म, कन्फ्यूशीवाद और तृतीयक शिक्षा के लिए अपनाई गई शिक्षा के अन्य तरीकों के समानांतर है।
हालाँकि, निर्णायक रूप से अध्यक्ष किम-इन का व्यवहारिक दर्शनशास्त्र विभेदित है जिसमें वे केवल अपने विचारों का संचार नहीं करते हैं। प्रारंभ से ही, अध्यक्ष किम ने गंभीरतापूर्वक पुनरावृत्त अभ्यास और कार्य के आधार पर अपने दर्शन को विकसित किया था। वास्तव में, अध्यक्ष किम की सत्य की खोज और प्राप्ति, ठोस अंतर्निहित सिद्धांतों के साथ, उनके अनुभवों पर आधारित है, जहां उन्होंने सभी मामलों में अपने सिद्धांतों के अभ्यास को सख्ती से पूरा किया।
‘अभ्यास’ अध्यक्ष किम चांग-इन के व्यवहारिक दर्शन का मर्म है। अध्यक्ष किम जोर देते हैं कि अभ्यास ही एकमात्र अनुशासन है जो सत्य की प्राप्ति की ओर ले जाता है और अन्य कोई सिद्धांत अभ्यास की शक्ति को मात नहीं दे सकते। यह स्पष्ट करते हुए कि उनके दर्शन में ‘अभ्यास’ विशेष रूप से व्यावहारिक और वास्तविक प्रयासों को संदर्भित करता है, वे सुझाव देते हैं कि ऐसे प्रयास करने की प्रक्रिया में प्रार्थना और दृढ संकल्प महत्त्वपूर्ण हैं।
‘आत्म-निर्भरता’ और ‘आत्म-सम्मान’ की हिमायत करते हुए, अध्यक्ष किम ने वर्षों के गहन विचार के बाद सच्चाई का एहसास करके और अपनी मन को संबोधित करने का अभ्यास करके व्यावहारिक दर्शन स्थापित किया था, जो उनकी आत्मा और प्राण को नियंत्रित करता है। वे दृढ नियी हैं कि युवाओं को उनके व्यावहारिक दर्शन का व्यापक प्रचार करना उनका मिशन है।
अपने दृढ संकल्प के लिए संबंध में,जेजू राष्ट्रीय विश्वविद्यालय ने 2013 में अध्यक्ष किम चांग-इन के अभ्यास के दर्शनशास्त्र का अनुसंधान संस्थान खोला। यह संस्थान तब से उनके व्यावहारिक दर्शन के अकादिमक मूल्यों पर और स्थानीय उन्न्ति के प्रति उनके महान योगदानों पर शोध की है। संस्थान ने दर्शनशास्त्र के व्यापक उपयोग और अभ्यास को प्राप्त करने के लक्षय के साथ युवा पीढी के लिए शैक्षिक कार्यक्रम भी चलाए हैं।
कोरिया में समकालीन युवाओं को ‘गिव-अप’ पीढी कहा जाता है क्योंकि उन्हें अपने जीवन में कई आवश्यक चीजों को छोडना पडता है जिसमें संबंध बनाना, शादी करना, नौकरी करना और आशाएँ रखना शामिल है। अध्यक्ष किम चांग-इन के व्यावहारिक दर्शन का दूसरा संस्करण प्रकाशित करते हुए, मैं उपयोगी दर्शनशास्त्र का व्यापक प्रचार करते हुए, गिव-अप पीढी समेत युवा लोगों को उनकी आशाओं और सपनों को पुन:प्राप्त करने में सहायता करने की पहल करना चाहता हूँ जो हमारे समय के युवाओं के जीवन के लिए निर्देशांकों के रूप में काम कर सके।
अध्यक्ष किम चांग-इन के व्यावहारिक दर्शनशास्त्र के सम्मान में,जेजू राष्ट्रीय विश्वविद्यालय ने स्वयं को ‘बुनियादी बातों और भविष्य के लिए छात्रों को संपूर्ण रूप से तैयार करने के प्रति समर्पित विश्वविद्यालय’ के रूप में स्थापित किया है और ‘ग्लोकल’ लीडर्स को परिपोषित करने के जोरदार प्रयास किए हैं जो दूसरों के साथ संचार करने के लिए खुले हैं, बिना किसी भय के चुनौतियों का स्वीकार करते हैं और मतभेदों को गले लगाते हैं।
मुझे विश्वास और उम्मीद है कि अध्यक्ष किम चांग-इन जेजू राष्ट्रीय विश्वविद्यालय के शैक्षिक दर्शनशास्त्र और प्रतिभा की अवधारणा की बहुत सराहना करेंगे और पूर्ण समर्थन प्रदान करते रहेंगे।
अध्यक्ष किम, अध्यक्ष किम चांग-इन के व्यावहारिक दर्शन के दूसरे संस्करण के प्रकाशन पर अभिनंदन। मैं आपके जीवन में खुशी और सफलता की कामना करता हूँ।
सोंग सॉक-ईऑन, अध्यक्ष, जेजू राष्ट्रीय विश्वविद्यालय
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संपादक की प्रस्तावना
संतति को अनुभव के आधार पर बनाए गए व्यावहारिक दर्शन को प्रसारित करना
किम चांग-इन, अब 80 साल के हैं, एक प्रतिष्ठित कोरियाई आप्रवासी हैं जो अपनी अजेय भावना के साथ सभी प्रकार की कठिनाइयों और पीडा को पार करते है और जिन्होंने उग्र पूर्वाग्रह और भेदभाव के बावजूद एक विदेशी देश में बड़ी सफलता हासिल की। किम ने जीवन के चरम उतार-चढ़ाव के अपने अनुभव का जीवन और व्यावहारिक दर्शन के अपने सिद्धांतों में उपयोग किया है, इसलिए समकालीन लोग उनके गहरे ख्यालों और विचारों द्वारा द्रवित हो जाएँगे और उनके प्रति सहानुभूति महसूस करेंगे।
किम 16 साल की आयु में अकेले जापान चले गए थे। तबसे उन्होंने अपने मन को हर रोज सुबह स्वर्ग, पृथ्वी और अपने पूर्वजों के लिए पूर्व दिशा में तीन बार आदरपूर्वक प्रणाम करके अपने मन की साधना की है। उन्होंने पेडों से सीखा जो ठंड और आँधी-तूफानों में भी खडे रहते हैं कि कैसे अपने मन को अविचलित और सुसंगत रखा जाए तथा आत्मसंयम का अभ्यास किया जाए। किम अपने जीवन में वह प्रतिबिंबित करते हैं, उन्होंने कभी भी अपनी आशाओं और सपनों का त्याग नहीं किया है, बल्कि अपने दृढ मनोबल से उन्हें प्राप्त करने का प्रयास किया है। वे दृढतापूर्वक कहते हैं कि जो कोई भी जो सफल होना चाहता है उसे अपनी अनंत क्षमता पर विश्वास होना चाहिए। वे अपने दर्शन में इस बात पर भी जोर देते हैं कि हर समय चुनौतियों का सामना करने के लिए संपूर्ण रूप से तैयार रहना अनिवार्य है। ऐसा करने के लिए, आपको नेता बनना चाहिए जो वही मार्ग लेता है जो अब तक नहीं लिया गया है, और हमेशा ध्यान में रखिए कि आपकी दुनिया में आप ही मुख्य पात्र हैं।
एक प्रतिष्ठित और सफल उद्योगसाहसिक के रूप में, किम आधुनिक समाज की आलोचना करते हैं, जिसमें भौतिकवाद और अहंकारवाद प्रबल हैं। समकालीन समस्याओं को संबोधित करने के लिए, वे आग्रह करते हैं कि सामाजिक नेताएँ जीवन और मनुष्य प्रकृति के प्रति आदर को पुन:स्थापित करके शांतिपूर्ण दुनिया के निमार्ण में पहल करें।
किम जोर देकर कहते हैं कि पूर्वजों की पूजा और प्यार-आधारित रिश्तेदारी मानवता की नैतिक मूल बातें है। पिछले सालों में, उन्होंने युवा प्रतिभाओं के विकास और युवा पीढ़यिों की शिक्षा के लिए जेजू राष्ट्रीय विश्वविद्यालय को कुल 21.4 बिलियन वॉन का और सेन्ट्रल असोसिएशन ऑफ गारक-रूटेड फैमिलीज़ को 3.5 बिलियन वॉन दान में दिए हैं।
एक अनुकरणीय व्यक्ति के रूप में जिसने उद्यमियों की कॉर्पोरेट जिम्मेदारी और पुरानी पीढी के नैतिक कर्तर्व्यों को परिपूर्ण किया है, किम ने गारक-रूटेड फैमिलीज हॉल में किम चांग-इन प्रै्निटकल फिलोसॉफी एज्युकेशन सेन्टर खोला था, जहाँ उन्होंने गारक-रूटेड परिवारों के बच्चों को ऐसे नेता बैन्ने के लिए शिक्षित होने में मदद की है जो हमारे राष्ट्र के लिए एक उज्ज्वल भविष्य लाएँगे।
मैं उदार दार्शनिक के प्रति अपना गहरा सम्मान व्यक्त करता हूं जो हमेशा दूसरों की मदद करने के लिए कोई प्रयास बाकी नहीं रखता है। यह मेरी सबसे बड़ी इच्छा है कि कोरिया गणराज्य समृद्ध होगा और यह कि हम स्थायी शांति प्राप्त कर सकते हैं, जैसा कि उन्होंने ईमानदारी से चाहा है।
किम गि-जे, सेंट्रल असोसिएशन ऑफ गारक-रूटेड फैमिलिज़ के अध्यक्ष