मनुष्य के लिए एक मार्ग
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◎ व्यक्ति को, सबसे महत्त्वपूर्ण रूप से सही मन के साथ यह तथ्य का पता होना चाहिए कि सिद्धांत उदात्त, उच्च और उमदा दिव्य संरक्षण और स्वर्ग का फरमान है।
मानव मन की प्रकृति का उपयोग कभी भी संघर्ष, घृणा या ईर्ष्या के लिए अथवा बुरे इरादे के साथ लोगों को धोखा देने के लिए अथवा कोई धोखे का अपराध करने में नहीं किया जा सकता, पूर्णतया नहीं। स्वर्ग की सजा निश्चित रूप से दी जाएगी, सुनिश्चित तौर पर 10,000%।
‘स्वर्ग की जाल खुरदुरे पन से बुनी गई है, लेकिन वह खुद में से कुछ भी आरपार नहीं होने देती।‘
इस तरह के अपराधों में दस हजार मौतें होंगी।
स्वर्ग और पृथ्वी के खौ’ में जीता मन वह मन है जिसकी सबसे ज्यादा जरूरत है।
स्वर्ग और पृथ्वी का तर्क व्यक्ति के हृदय और आत्मा पर सख्ताई पूर्वक शासन करता महान नियम है। अपनी प्रकृति से, मन का उपयोग सही तरीके से, सच्चाई, गुण, स्पष्टता और सुंदरता के साथ किया जाना चाहिए।
गंभीर पाप, विनाशकारी अपराध, अवज्ञा में अनैतिक व्यवहार और विनाश के रास्ते के खिलाफ खड़े होना और स्वर्ग की सजा का रास्ता।
सिद्धांत और नियम, कारण और प्रभाव का कानून, स्वर्ग और पृथ्वी का तर्क।
व्यक्ति के खुद के दुष्कर्मों के कारण स्व-अजिर्त सजा जो स्वर्ग की सजा है, 10,000% निश्चिता के साथ दी जाएगी।
कोई भी इससे बच नहीं सकता। जीवनभर और हमेशा के लिए।
उसकी प्रकृति के आधार पर, मन का उपयोग सही तरीके से, सच्चाई, गुण, स्पष्टता और सुंदरता के साथ किया जाना चाहिए; मन है जो शांति, खुशी और समृद्धि का सर्जन करता है।
कीमती, सबसे गरिमापूर्ण मन एक चमकता मूल्यवान पत्थर और क़ीमती संपत्ति है। मन एक खजाना है जो सौभाग्य पैदा करता है और एक अतुलनीय महान और अनमोल खजाने का स्रोत है।
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